पावन पावन गंगा जी -17-Nov-2022
*प्रतियोगिता *
पावन पावन गंगा जी
गोमुख से गंगा सागर तक, बहती कल कल गंगा जी। अविरल निर्मल गंगा जी।
1
सगर सुतों की प्राण दान है।
भागीरथ की मान दान है।
भारत माँ की यही शान है।
करूणा ममता दया पूर्ण है , चंचल चंचल गंगा जी। अविरल निर्मल गंगा जी।
2
कोटि कलुष को हरने वाली।
धन व धान्य को भरने वाली।
कृपा कोर नित करने वाली।
सकल सभ्यता संस्कृति पालें , पावन पल पल गंगा जी। अविरल निर्मल गंगा जी।
3
एक बार जो गंग नहावे ।
गंगाजल श्रीहरि को चढावे ।
पाप ताप संताप नसावे।
भव बंधन काटें प्रानी के , निश्छल निश्छल गंगा जी । अविरल निर्मल गंगा जी।
4
कर दे कृपा कोर कल्यानी। बस इतना वर दे वरदानी। अंत समय मुँह गंगा पानी। विनोदी जो गंगा तट आये , रहता है वह चंगा जी। अविरल निर्मल गंगा जी।
विनोदी महाराजपुर
Gunjan Kamal
22-Nov-2022 11:05 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
Reply
Alka jain
17-Nov-2022 05:09 PM
Nice 👍🏼
Reply
Raziya bano
17-Nov-2022 05:00 PM
Nice
Reply